अजीत हर दिल को जीत कर चले गए तुम याद बहुत आओगे
रायपुर।  हर दिल अजीज मेरे अजीत जोगी।  आज पूरा छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश का हर वो प्रदेश जो जोगी से जुड़ा वो उसका मुरीद हुआ और आज अपनी नम आखों से श्रदांजलि दे रहा है।  

लॉक डाउन में आज अजीत चले तो गए परन्तु आज उनकी यादों को दिल में कोई भी लॉक नहीं कर पाया।  छत्तीसगढ़ से लेकर मध्यप्रदेश झारखण्ड से लेकर दिल्ली प्रदेश तक हर तरफ आज अजीत की याद ऐसी की जैसे कोई मेरा अपना चला गया।  अजीत जोगी के लिए यह प्रेम जनता का प्रेम हर नेता के नसीब में नहीं होता परन्तु आज वो अजीत प्रमोद जोगी प्रेम जाग्रत करके  चले गए।  

 

प्रशासनिक अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक 

अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के सर्वमान्य नेता और एकलौते ऐसे नेता थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य गठन से लेकर राज्य विकास और नाम को दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलवाई थी ।

1985 में   इंदौर कलेक्टर रहते हुए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दिया और राजनीती में उनका पदार्पण राजीव गाँधी के कहने के अनुसार हुआ था ।   

गौरेला पेंड्रा मरवाही क्षेत्र से था विशेष लगाव 

अजीत जोगी हमेशा गौरेला मरवाही क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहे जब वो पहली बार मुख्यमंत्री बने तो गुरुकुल स्कूल में उनका हेलीकॉप्टर उतरा तब जनता उनको देखने मात्र  के लिए लालायित हो उठती थी। शासकीय गुरुकुल स्कूल में उन्होंने पहली बार पौधरोपड़ किया था. साथ ही स्कूल के ऑडिटोरियम में तीन  वर्षीय  पाठ्यक्रम पैरामेडिकल कोर्स चलाने की अनुमति राज्य सरकार ने दी थी.

इस क्षेत्र से इतना लगाव था की अपनी प्यारी बेटी की कब्र इंदौर से लाकर यही के कब्रिस्तान में फिर से दफनाया था।  और अब यही उनका अंतिम सफर भी खत्म होगा।